29 नव॰ 2016

कातर कतारें

जब से देश में नोटबंदी हो गई
सियासत और भी गंदी हो गई

हल्की हल्की सांसे ले रही है इंसानियत
सुना है मजदूर की आवाज मंदी हो गई

लंम्बी लंम्बी यह जो कातर कतारें है
बेबस चेहरे देख आह भी ठंडी हो गई

चीखकर मांग रहे हैं हिसाब गरीब का
पसीने की कमाई भी अब रद्दी हो गई

कोसती थी एक दूसरे को हर आंख
सुना है नेताऔं मे रजामंदी हो गई

क्यों ? दिखता नहीं दर्द रहनुमाओं को
लाचार को हराने सियायत अंधी हो गई

28 नव॰ 2016

अंधेरा क्यों है

सोने की चिड़ीया से मुल्क में अंधेरा क्यों है
इस  दौर में भी  काला इतना सवेरा क्यों है

दिखती है अब हर शय में खौफ की आहट
सवेरा है मगर फिर भी घना अंधेरा क्यों है

माना की हर फैसले से वास्ता नहीं तेरा
मगर फिर भी हर फैसला तेरा क्यों है !

अजीब सवाल पूछ रह है निशब्द परिंदों से
इस दौर में बिजली के तार पर बसेरा क्यों है।

24 जून 2016

रोल नंबर

'रोल नम्बर 1.. यस सर ! मेरे घर में टॉयलेट है
..
पूरा माजरा यह है की
गुजरात के नर्मदा जिले के प्राईमरी स्कुलों में अब हाजिरी के वक्त छात्रों को तीनों में से किसी एक वाक्य को बोलना होगा
1. मेरे घर में टॉयलेट है
2. मेरे घर में टॉयलेट नहीं है
3 .टॉयलेट का निर्माण हो रहा है
..
वाह रे देश की शिक्षा .
कहीं यह फरमान जारी ना दे की यह भी बोलना पड़ेगा ?
" में टट्टी  जाकर आया हूं
" में टट्टी  जाकर नहीं आया
" मुझे तो  कब्ज है
" में तो हंगता ही नहीं ..
.....
सोच रहा हूं की विदेशी लोग क्या सोचते होंगे जब ऐसी ऐसी  बातें विदेशी लोगों को पता चलती होगी

20 मई 2016

हकीकत से रूबरू .

हकीकत से रूबरू  MJ Raju की कलम से
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1  हल्की हल्की बारिश हो रही है गरीब किसान अपने खैत में पैड़ के नीचे  बैठा है हाथ में कुदाल है रोटीयां कपड़े में लिपटी है लहलहाती फसल को यकटक देख रहा है बहूत खुश है .फसल अच्छी जो थी .

2  रेडियो पर खबर चल रही है हर जगह एक ही नारा है कांग्रेस मुक्त भारत होगा.मोदी जी की लहर चल गई .हर जगर शौर है पटाखे जलाऐ जा रहे हैं  मिठाईयां बांटी जा रही है

1  किसान सोच रहा था की इस साल अगर फसल अच्छी हुई तो बेटियों की शादी करूंगा बेटे को पढाउंगा सारा कर्ज चुका दुंगा गरीबी खतम होगी और हमारे भी अच्छे दिन आऐंगे

2  भाषणों का दौर शुरू हो चुका है किसी खैमे में खुशी है तो कहीं सन्नाटा पसरा है आरोप लगाऐ जा रहै हैं मंथन शुरू हो चुका है

1 बादलो की गड़गड़ाहट के बीच किसान का कलेजा हिल जाता है  अगर हल्की सी ज्यादा बारिश हुई या तेज हवा चली तो सारे सपने टूट जाऐंगे फिर पिछली बार की तरह कौई खबर नहीं लेगा कर्जा भी तो जीने नहीं देगा...

2 अगले चुनाव के लिऐ रणनीतियां बनाई जा रही है बधाईयां दी जा रही है शपथ की तैयारी हो रही है मंच सजाऐ जा चुके हैं..

1 अचानक हल्का सा तुफान आता है और किसान की सारी फसल बरबाद किसान की आंखों मे आंसू हैं की अब कर्ज कैसे चुकाउंगा  भारी मन से इसी पैड़ पर गले मे मफलर डाल लटक जाता है

2  शपथ के बाद नेता जी का पहला भाषण शुरू हो चुका है ...
में शपथ लेता हूं की में गरीबो के हक के लिऐ लड़ूंगा जो साठ सालों मे नहीं हुआ वो हम करेंगे हम कांग्रेस मुक्त भारत का सपना साकार करेंगे हम रोजगार देंगे. किसानों का कर्ज माफ करने के बारे मे विचार करेंगे "अच्छे दिन आऐंगे "
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काश, कांग्रेस मुक्त भारत की जगह गरीबी मुक्त भारत का नारा होता ...
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कुछ समझ में आया तो शेयर कीजिऐगा ....