4 अक्तू॰ 2015

देश झुकने नहीं दूंगा

फैले कितने भी दंगे या फिर हो चाहे फसाद यहाँ
लेकिन वचन है मेरा मैं यह देश झुकने नहीं दूंगा .

चाहे मरे कोई इंसान जानवर की मौत यहाँ
लेकिन वचन है मेरा मैं यह देश झुकने नहीं दूंगा

कितनी गंदगी है यहाँ घूम घूम दुनियां को बताया
लेकिन वचन है मेरा मैं यह देश झुकने नहीं दूंगा

आज छाया है दर्द–ऐ-दादरी सारे जहाँ मैं देखो
लेकिन वचन है मेरा मैं यह देश झुकने नहीं दूंगा

नफरतें भर गयी शांतिप्रिय जो थे कभी यहाँ
लेकिन वचन है मेरा मैं यह देश झुकने नहीं दूंगा

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