8 दिस॰ 2015

फलस्तीन की मिटटी

शायद तेरी कोख में बुझदिल पैदा नहीं होते ...

इसलिए ऐ फलस्तीन की मिटटी तुझे सलाम ..


जब भी फलस्तीन का जिक्र आता है जहन में एक बहादूर और सहन करने वाले लोगों की

छवि उभर आती है फलस्तीन की जनता पर क्रूर इस्राइली जुल्म की इंतिहा सालों से जारी है......

लेकिन ..........

फलस्तीन की उस जमीन को सलाम

जिसके के हर बगीचे को दुश्मनों ने रोंद दिया जहाँ की हर खिड़की का शीशा तक जुल्म का शिकार होकर टुटा है..स्कूल अजायब घर नजर आते है...उस देश की हर वादी में अमन का कत्ल हुआ है.

उस जमीन के हर घर में एक शहीद की तस्वीर दीवार पर जरूर मिलेगी है.......

उस जमीन की हर औरत को सलाम..........

जो खून से लथपथ अपने बच्चो को गोद में लेकर कहती है ऐ जालिम इससे ज्यादा तेरे जुल्म की इन्तिहा क्या होगी लेकिन फ़िक्र ना कर में ऐसे बहादुर बच्चो को फिर जन्म दूंगी

उस जमीन के हर बच्चे को सलाम....

यतीम होना इस देश के बच्चे शायद जानते तक न हो फिर भी दुश्मन के सामने खड़े होकर कहते है .

ढा ले जुल्म तू आखरी हद तक ऐ दुश्मन लेकिन .हम तेरे सामने नहीं झुकेंगे ..हम भी जवानी में कदम रखेंगे हम फिर लड़ेंगे ....क्योंकि हमें बहादुरी सिखाई जाती है. बुजदिली नहीं



ऐ फलस्तीनियों आखिर तुम किस मिट्टी के बने हो ..कितना जुल्म सहन करोगे .....

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