28 फ़र॰ 2017

जमील की कलम से 'नजीब' बोल रहा हूं

में नजीब अहमद..
शायद आप मुझे नाम से तो जानते ही होंगे
हां हां वही जो पिछले दिनों गायब हो गया था जो अब तक   नहीं मिला,जिसे ढूंढने के लिये ना जाने कितनें धरने हुऐ रेलियां निकाली गई
खूब हो हल्ला हुआ इसके बावजूद में नहीं मिला.
में कहां हूं यह में खुद नहीं जानता
क्यों गायब हूं यह भी नहीं जानता
जब में हिंदुस्तान के नामी कॉलेज के केम्पस से गायब हो सकता हूं और सारी दिल्ली की पुलिस, सरकार, यहां तक की हिन्दुस्तान के चप्पे चप्पे पर पैनी नजर रखने वाला और दूसरी दुनियां की यानी ऐलियंस तक की हर खबर पर नजर रखने वाला मीडिया भी मुझे नहीं ढूंढ पाया,

आखिर में कहां हू ?

में एक बार फिर आप सबसे गुजारिश कर रहा हूं की अब तो इंतजार करते करते मेरे परिवार वालों के आंसू भी सूख चुके होंगे, कोई तो मुझे ढूढ दो
....वरना याद रखना आज तो में गायब हुआ हूं कल को तुम भी गायब हो सकते हो और मेरी तरह तुम भी किसी को नहीं मिलोगे

सुना है हिंदुस्तान मे हर साल लाखों बच्चे गायब हो जाते है जिनकी खबर मीडिया तक नही पहूंचती उन बच्चों को कौन ढूंढता होगा ?
क्या वो सब मेरी तरह यूं ही भुला दिये जाते है

खैर अगर अब भी में कहीं किसी मोड़ पर मिल जाता हूं मुझे बता देना.....

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें