11 फ़र॰ 2018

बचपन फिर ना लौटेगा

वो बचपन की किलकारियां
ना कोई दुश्मन ना यारियां
सर पे ना कोई ज़िम्मेदारियाँ
वो मासूम सी होशियारियाँ,

वो बचपन फिर ना लौटेगा !

वो धूप में नंगे पाँव दौड़ना
कभी कीचड़ में लौटना
ना हारना ना कभी थकना
कभी बे वजह मुस्कुराना,

वो बचपन फिर ना लौटेगा !

गली गली बेवजह दौड़ना
खिलोने पटक कर तोड़ना
टूटे खिलोने फिर से जोड़ना
छोटी छोटी बात पर रूठना,

वो बचपन फिर ना लौटेगा !

कभी मिटटी के घर बनाना
घरों को फिर मिटटी से सजाना
कभी दिन भर माँ को सताना
फिर माँ की छाती से लिपट सो जाना,

वो बचपन फिर ना लौटेगा
हाँ !!  वो बचपन फिर ना लौटेगा

8 फ़र॰ 2018

चलो पकोड़ा बेचा जाए

लिखने पढने की ऐसी तैसी  
छोड़ छाड़  के सारी किताबें 
बाजार से बेसन खरीदा जाए  
चलो पकौड़ा बैचा जाऐ,
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फीस फास का कोई संकट नहीं
स्कूल का भी कोई झंझट नहीं
भूल जाओ नोकरी वोकरी  
पहले एक ठेला खरीदा जाए 
चलौ पकौड़ा बेचा जा,
.
रोजगार का नया तरीका है  
कितना सुन्दर सरकारी सलीका है  
कोई मतलब नहीं डिग्री विग्री का  
फर्जी है यह सारा रगड़ा लफड़ा  
क्यों इसमें दिमाग खपाया जाए  
चलो पकोड़ा बेचा जाए,

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